व्रत प्रारम्भ समय एवं उद्यापन
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अस्तगते च गुरौ शुक्रे, बाले वृद्ध मलिम्लुचे।उद्यापनमुपारम्भं, व्रतानां नैव कार्येत्॥१॥(महर्षि
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अस्तगते च गुरौ शुक्रे, बाले वृद्ध मलिम्लुचे।उद्यापनमुपारम्भं, व्रतानां नैव कार्येत्॥१॥(महर्षि
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ निज वर्णाश्रमाचार, निरतः शुद्ध मानसः।अलुब्धः सत्यवादी च, सर्वभूत हिते रतः॥पूर्वं
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ दिन में जन्म होने पर चन्द्रमा अपने या अधि- मित्र
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ वेदोक्तेन प्रकारेण कृच्छ्चान्द्रायणादिभि।शरीरशोषणं यत् तत् तप इत्युच्यते बुधै॥ अर्थात् –व्रत
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ यदि लग्न में गुरु से केन्द्र में चन्द्रमा, चन्द्रमा से
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अष्टमेश ४१५।९।१० स्थानों में हो और लग्नेश निर्बल हो तो
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ चतुर्थेश दशम में और दशमेश चतुर्थ में हो। चतुर्थेश दूसरे
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ सप्तमेश और द्वितीयेश एक साथ हों और उन पर शुक्र
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ जन्म कुंडली में यदि ग्रह कमजोर हों, यदि ग्रह अनुकूल