शीतला अष्टमी त्यौहार
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ व्रतमात्रेऽष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्लाष्टमी परा(माधव) अर्थात् – शीतला अष्टमी कृष्ण
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ व्रतमात्रेऽष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्लाष्टमी परा(माधव) अर्थात् – शीतला अष्टमी कृष्ण
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ यह मध्यान्हव्यापिनी पूर्णिमा ग्रहण करना चाहिए। ऐसा दो दिन होने
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ यह व्रत सभी महीनों के दोनों पक्षों की एकादशी तिथियों
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ ज्येष्ठे मासि सिते पक्षे दशभ्यां बुध हस्तयोः ।व्यतिपाते गरानन्दे कन्याचन्द्रे
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को जिस दिन पूर्व विद्धा तिथि हो
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ इस व्रत का वर्णन हेमाद्री ग्रंथ में है। यह व्रत
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ वैशाखे शुक्लपक्षे तु, चतुर्दश्यां निशा मुखे।मज्जन्म संभवं पुण्यं, व्रतं पाप
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ वैशाखस्य सिते पक्षे, तृतीयायां पुनर्वसौ।निशायां प्रथमे यामे, रामाख्याः समये हरिः॥
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षया तृतीयोच्यते ।सा पूर्वान्ह व्यापिनी ग्राह्या ॥१॥(निर्णय
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अष्टम्या नवमी विद्धा कर्तव्या फलकांक्षिभिः।न कुर्यान्नवमी तात दशम्या तु कदाचन॥(दीक्षित