वास्तु-शास्त्र सलाह

वास्तु-शास्त्र वह विधा है जिसके माध्यम से चेतन-पुंज मनुष्य जड़बाह्य संसार से अपना तारतम्य बैठाता है और सकारात्मक सामंजस्य स्थापित करता है | वास्तुशास्त्र वास्तव में प्रकृतिचर्या का एक अंग है | इसके द्वारा हम प्रकृति से अपने अटूट नाते को सुदृढ़ बनाते हैं | सृष्टि में होने वाली घटनाएँ अनायास ही घटित नहीं होती है बल्कि इनके पीछे सृष्टि के नैसर्गिक नियम कार्य करते है |

आज लोग अपनी प्रोफेशनल लाइफ से लेकर पर्सनल लाइफ में सक्सेस, खुशी व संतुष्टि पाने के लिए वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करने लगे हैं। चाहे घर बनवाना हो या ऑफिस या फिर अपने कॅरियर का चयन करना हो, व्यक्ति एक बार वास्तुशास्त्री की राय जरूर लेता है। दरअसल, यह एक ऐसी विद्या है, जिसमें विभिन्न दिशाओं व उनकी उर्जा के सकारात्मक प्रभाव को आकर्षित किया जाता है, जिससे व्यक्ति को अधिकाधिक लाभ मिलता है।
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नकारात्मक वास्तु के प्रभाव :

  • आर्थिक परेशानियाँ, व्यापारिक घाटा, व्यापार में लागत भी न निकल पाना
  • ऋण सम्बन्धी दिक्कतें
  • ऋणजाल में फँसना (पुराने कर्ज की अदायगी के लिए नए कर्ज लेना)
  • निराशाजनक करियर, निरंतर असफलताएं मिलना, मेहनत का फल ना मिलना
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, दीर्घकालीन रोग, दुर्घटनाएं
  • पारिवारिक झगडे, तलाक, नकारात्मक माहौल
  • मानसिक तनाव, अवसाद या डिप्रेशन, अनिद्रा, घबराहट
  • अनिर्णय की स्थिति
  • किसी प्रकार के अपराध का शिकार होना
  • परिवार के किसी सदस्य में किसी प्रकार की आपराधिक प्रवृति उत्पन्न होना
  • संघर्षपूर्ण जिंदगी

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