“हरि हर हरात्मक” ज्योतिष संस्थान के माध्यम से भूमण्डल पर सनातन वैदिक धर्म एवम् धार्मिक परंपराओं तथा ईश्वरीय सत्ता को उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर ले जाने हेतु प्रयासरत, पं. श्री श्रीकेश द्विवेदी जी महाराज उच्च शिक्षित श्रीमद् भागवत कथा के सरल, सरिस, सत्य एवं सार्थक प्रवक्ता एवम् ज्योतिष वास्तु सलाहकार हैं। उन्होने महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय से ज्योतिष एवं पांडित्य कर्मकांड की उच्च शिक्षा प्राप्त की है। अनेक शास्त्रीय वैदिक ग्रंथों का अध्ययन करते हुए अनेकों जन्मपत्रियों एवं हस्तरेखा चित्रों, वास्तुशास्त्र एवं मुखाकृतियों का गहन अध्ययन भी किया है। उन्होंने मंत्र, यंत्र, रत्न, वास्तु, फेंगशुई के प्रयोग द्वारा, ग्रहशांति, रेकी/टेलीपैथी और अनुष्ठान सम्पन्न करवा कर, नाम एवं व्यवसाय के नाम के शब्द–विन्यास में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करवा कर हज़ारों व्यथित और पीड़ित समस्याग्रस्त व्यक्तियों को उनकी वैवाहिक, व्यवसायिक, राजनीतिक, नौकरी, तरक्की, संतान, शैक्षिक, संपत्ति, वाहन, जीविका, विवाह विच्छेद, न्यायलयीय विवादों, कारावास दंड इत्यादि समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायता की है। पं. श्री श्रीकेश द्विबेदी जी महाराज अपने व्यवसाय के प्रति गंभीर, संवेदनशील और निष्ठावान हैं। उनका उद्देश्य जनसाधारण को जीवन के प्रति सकारात्मक बनाना है। वह अनुशासित, कठोर किन्तु सरल, धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के स्वामी हैं।
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श्रीमद्भागवत महापुराण क्या है
पंडित श्री श्रीकेश द्विवेदी जी महाराज के अनुसार श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के श्रवण से प्राणी के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। और उसके अंदर लौकिक और आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ प्राप्ति के लिए बहुत कठिन प्रयास किए जाते थे वही कलयुग में अर्थात इस युग में श्रीमद्भागवत मपहाुराण की कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पुराण की कथा श्रवण से प्राणी के अंदर सोया हुआ ज्ञान वैराग्य जागृत हो जाता है। श्रीमद् भागवत की कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए संसार के हर मनुष्य को अपने जीवन से समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए।
पंडित श्रीकेश द्विवेदी जी महाराज कहते हैं कि श्रीमद्भागवत महापुराण हिंदुओं के १८ पुराण में से एक है। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है। इस पुराण में भगवान श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में वर्णित किया गया है। इसके अतिरिक्त भागवत पुराण में भक्ति का निरूपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर भागवत पुराण के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण को “भागवतम्” भी कहते हैं। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत महापुराण मोक्ष प्रदान करने वाली है। इसके स्रवण से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई, और कलयुग में आज भी हम सबको इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलता है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से प्राणी की मुक्ति हो जाती है, और वह इस जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।
श्रीमद्भागवत महापुराण में १२ स्कंद है। जिसमें १८००० श्लोक हैं। इस ग्रंथ में अध्यात्मिक विषयों पर वार्तालाप वर्णित है। इस महापुराण में भक्ति, ज्ञान, तथा वैराग्य की महानता को दर्शाया गया है। भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान श्री कृष्ण के कथाओं के साथ साथ महाभारत काल से पूर्व के कई राजाओं, ऋषि मुनियों तथा असुरों की कथाएं भी भागवत पुराण में संकलित की गई है। इस ग्रंथ में महाभारत युद्ध के पश्चात भगवान श्री कृष्ण का देह त्याग, द्वारिका नगरी का जलमग्न होना और यदुवंशियों का नाश किस प्रकार हुआ था इन सभी विषयों का विस्तारित विवरण किया गया है।
पं. श्री श्रीकेश जी द्विवेदी जी महाराज ‘श्रीमद्भागवत प्रवक्ता’
सनातनी ज्योतिर्विद
“हरि हर हरात्मक” ज्योतिष संस्थान
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा मुद मंगलमय हर्ष । सुखी रहे परिवार संग अपना भारतवर्ष ॥