“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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अस्तगते च गुरौ शुक्रे, बाले वृद्ध मलिम्लुचे।
उद्यापनमुपारम्भं, व्रतानां नैव कार्येत्॥१॥
(महर्षि गर्ग)
सौम्यवासराः सर्वकर्मसु भवंति सिद्धदा।
हस्त मैत्रमृग पुष्यत्रयुतरा अश्विपौष्ण शुभयोग सौख्यदाः॥२॥
(मुक्तक संग्रह)
कुर्यादुद्यापनं चैव समाप्तौ यदुदीरितम्।
उद्यापनं विना यत्तु तव्रतं निष्फलं भवेत्॥३॥ (नंदिपुराण)
अर्थात् – गुरु एवं शुक्र के उदय रहने पर भद्रादि कुयोग एवं मलमास त्याग कर, शुभ वारों में, अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, तीनों उत्तरा, अनुराधा, रेवती नक्षत्रों में, शुभ योगों में व्रत प्रारंभ करने पर या उद्यापन करने पर मनोकामना पूर्ण होकर सुख मिलता है।
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
श्रद्धेय पंडित विश्वनाथ द्विवेदी ‘वाणी रत्न’
संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष संस्थान)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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