“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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तृतीया श्रावणे कृष्णा, या स्याच्छ्रवण संयुता। तस्यां सम्पूज्य गोविन्दं, तुष्टिमग्रयामवाप्नुयात्॥ (हेमाद्री एवं विष्णुधर्मोत्तर)
अर्थात् – श्रावण कृष्ण तृतीया को श्रवण नक्षत्र के योग में विष्णू पूजन-व्रत किया जाता है। इसमें परविद्धा तिथि ग्राहय होती है पर तिथि से तात्पर्य चतुर्थी तिथि है।
तीज उत्सव उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में महिलाओं द्वारा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। सावन और भाद्रपद महीनों के दौरान महिलाओं द्वारा मनाई जाने वाली तीन प्रसिद्ध तीजें हैं –
१•हरियाली तीज
२•कजरी तीज
३•हरतालिका तीज
अन्य तीज त्यौहार जैसे आखा तीज जिसे अक्षय तृतीया और गणगौर तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, उपरोक्त तीन तीजों का हिस्सा नहीं हैं। हरियाली तीज के बाद अगली तीज जो हरियाली तीज के पंद्रह दिन बाद आती है उसे कजरी तीज के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर कजरी तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आती है। उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के दौरान आता है और दक्षिण भारतीय कैलेंडर के अनुसार यह श्रावण माह के कृष्ण पक्ष के दौरान आता है। हालाँकि दोनों कैलेंडर में कजरी तीज एक ही दिन पड़ती है। कजरी तीज को छोटी तीज के विपरीत बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है जिसे हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज को कजली तीज या कजरी तीज भी कहा जाता है। कुछ क्षेत्रों में कजरी तीज को सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
पंडित हर्षित द्विवेदी
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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