ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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सौर पुराण के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष में मध्यान्ह व्यापिनी चतुर्थी में यह पूजन होता है।
दुर्वाष्टमी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी पर किया जाता है। दुर्वाष्टमी व्रत मुख्य रूप से स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मन्थन के समय भगवान विष्णु कूर्म अवतार धारण करके मन्दराचल पर्वत की धुरी में विराजमान हो गये। मन्दराचल पर्वत के तीव्र गति से घूमने के कारण, उसकी रगड़ से भगवान विष्णु की जंघा से कुछ रोम निकलकर समुद्र में गिर गये। अमृत के प्रभाव से भगवान विष्णु के रोम पृथ्वीलोक पर दूर्वा घास के रूप में उत्पन्न हुये। इसलिये दूर्वा को अत्यन्त पवित्र माना जाता है तथा दुर्वाष्टमी पर दूर्वा घास का पूजन किया जाता है।
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
पंडित हर्षित द्विवेदी
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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