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व्रत-पर्व-त्यौहार निर्णय सूत्र

व्रत भंग कब नहीं होता ?

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अष्टौ तान्य व्रतघ्नानि, आपो मूलं फलं पयः।हविर्बाम्हण काम्या च, गुरोर्वचनमौषधम्॥

व्रत-पर्व-त्यौहार निर्णय सूत्र

व्रत भंग कब होता है ?

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ १. क्रोधात् प्रमादाल्लोभद् वा व्रतभंगो भवेद् । (गरुड़पुराण)२. असकृज्जलपानाश्च सकृत्ताम्बूलभक्षणात्

व्रत-पर्व-त्यौहार निर्णय सूत्र

व्रत प्रारम्भ समय एवं उद्यापन

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अस्तगते च गुरौ शुक्रे, बाले वृद्ध मलिम्लुचे।उद्यापनमुपारम्भं, व्रतानां नैव कार्येत्॥१॥(महर्षि

व्रत-पर्व-त्यौहार निर्णय सूत्र

व्रत का महत्व

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ वेदोक्तेन प्रकारेण कृच्छ्चान्द्रायणादिभि।शरीरशोषणं यत् तत् तप इत्युच्यते बुधै॥ अर्थात् –व्रत

जन्म कुण्डली के विविध योग

जन्म कुण्डली में दिवालियापन योग

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ अष्टमेश ४१५।९।१० स्थानों में हो और लग्नेश निर्बल हो तो

जन्म कुण्डली के विविध योग

जन्म कुण्डली में जमींदारी योग

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉ चतुर्थेश दशम में और दशमेश चतुर्थ में हो। चतुर्थेश दूसरे

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