“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉
माधव के अनुसार, द्विमुहूर्त व्याप्तौदायिकी ग्राह्योति। जिस दिन सूर्योदय के पश्चात कम से कम दो मुहूर्त अथवा ४ घटी चतुर्दशी हो उस दिन अनन्त भगवान का पूजन व्रत करना चाहिए। भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है, इसे अनन्त चौदस भी कहते हैं। अनन्त चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु, माता यमुना और शेषनाग की पूजा की जाती है और इस दिन अनन्त सूत्र बाँधा जाता है। इसी दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है। अनन्त चतुर्दशी पर अनन्त सूत्र बाँधने की परम्परा है, अनन्त सूत्र को लेकर यह मान्यता है कि इस सूत्र में भगवान विष्णु का वास होता है। अनन्त चतुर्दशी पर अनन्त सूत्र को भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद बाँह में बाँधा जाता है। अनन्त सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिये, इन १४ गांठों को १४ लोकों से जोड़कर देखा जाता है। अनन्त चतुर्दशी भगवान विष्णु के अनन्त रूप की पूजा हेतु सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त पुरे दिन का उपवास रखते हैं।
॥ श्रीरस्तु ॥
❀꧁꧂❀
श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉
संकलनकर्ता –
पंडित हर्षित द्विवेदी
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉