व्रत का महत्व
“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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वेदोक्तेन प्रकारेण कृच्छ्चान्द्रायणादिभि।
शरीरशोषणं यत् तत् तप इत्युच्यते बुधै॥
अर्थात् –
व्रत एक प्रकार का तप हैं। इससे मानव की लौकिक एवं परलौकिक(अध्यात्मिक) उन्नति होती है। व्रत से पापादि की निवृत्ति होती है। व्रत से शरीर तप कर शुद्ध हो जाता है। फलस्वरूप रोग निरोधक क्षमता मानसिक शक्ति, बुद्धि चतुरता, उत्साह एवं शारीरिक शक्ति बढ़ती है। आराध्यदेव के प्रसन्न होने से जीवन काल में मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं। एवं शरीर त्यागने के बाद सद्गति प्राप्त होती है।
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
श्रद्धेय पंडित विश्वनाथ द्विवेदी ‘वाणी रत्न’
संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष संस्थान)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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