“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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निज वर्णाश्रमाचार, निरतः शुद्ध मानसः।
अलुब्धः सत्यवादी च, सर्वभूत हिते रतः॥
पूर्वं निश्चयमाश्रित्य, यथावत् कर्मकारकः। अवेदनिन्दको धीमानधिकारी व्रतादिशुः॥
अर्थात् – स्कन्द पुराण के अनुसार जो अपने वर्णाश्रम के आचार-विचार से रहते हैं, निष्कपट, निर्लोभी, सत्यवादी, सब प्राणियों पर दया भाव रखने वाले, वेद के अनुयायी, बुद्धिमान एवं निश्चयकर्मी ऐसे गुणवान पुरुष, स्त्री व्रत करने योग्य होते हैं।
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
श्रद्धेय पंडित विश्वनाथ द्विवेदी ‘वाणी रत्न’
संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष संस्थान)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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