यम द्वितीया

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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(यमद्वितीया मध्यान्हव्यापिनी पूर्वविद्धा चेति हेमाद्रिः)
(निर्णय सिन्धु)

कार्तिक शुक्ल द्वितीया। यह मध्यान्हव्यापिनी पूर्व विद्धा शुभ होती है। यम द्वितीया कार्तिक माह के दौरान द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। ज्यादातर बार, यम द्वितीया दिवाली पूजा के दो दिन बाद आती है। यम द्वितीया पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भगवान यमराज के अधीनस्थ चित्रगुप्त और यम-दूतों के साथ की जाती है। यम द्वितीया पूजा के लिए अपराहण सबसे उपयुक्त समय है। अपराहन के दौरान यमराज पूजा से पहले सुबह में यमुना स्नान का सुझाव दिया जाता है। पूजा के बाद यमराज को अर्घ्य देना चाहिए। यम पूजा के अलावा, यह दिन भाई दूज के नाम से अधिक जाना जाता है। यम द्वितीया की पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी यमुना ने कार्तिक द्वितीया पर अपने भाई यमराज को अपने घर पर भोजन कराया था। तभी से इस दिन को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो बहनें इस शुभ दिन पर अपने भाइयों को खाना खिलाती हैं, वह हमेशा सौभाग्यवती बनी रहती हैं और बहनों के घर खाना खाने से भाइयों को लंबी उम्र मिलती है। इसलिए भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों के लिए शानदार खाना बनाती हैं और उन्हें अपने हाथों से खिलाती हैं।

॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
पंडित हर्षित द्विवेदी
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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Pandit Harshit Dwivedi Ji Maharaj is a highly educated and simple, true and meaningful Astrology, Vastu Consultant, who is always striving to take Sanatan Vedic Dharma and religious traditions and divine power to the highest pinnacle of progress.

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