अद्भुत चमत्कारी भारतीय पुरातन विद्यायें

Amazing and miraculous Indian ancient knowledge Hari Har Haratmak

प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में अनेकों ऐसी विद्याएं प्रचलन में रही जिसे आधुनिक युग में अंधविश्वास अथवा काला जादू मानकर दुत्कार दिया गया, किन्तु उन्हीं विद्याओं पर जब पश्‍चिमी वैज्ञानिकों ने शोध किया तो पता चला कि संभवतः इन विद्याओं में सच्चाई है।
भारत में अति प्राचीन काल से अनेकों प्रकार की रहस्यमय, अद्भुत प्रभावोत्पादक, गुप्त क्रियाएँ प्रचलित हैं।

वैदिक गणित, भारतीय संगीत, ज्योतिष, वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र, हस्तरेखा, सम्मोहन, मानसिक दूरसंचार, काला जादू, तंत्र, सिद्ध मंत्र और टोटके, पानी बताना, गंभीर रोग ठीक कर देने जैसे चमत्कारिक प्रयोग आदि ऐसी हजारों विद्याएं आज भी प्रचलित है जिन्हें वैज्ञानिक रूप में समझने का प्रयास किया जा रहा है।

सम्मोहन विद्या

यह प्राचीनकालीन प्राण विद्या का एक भाग है। सम्मोहन के बारे में प्रत्येक व्यक्ति जानना चाहता है, लेकिन उचित जानकारी के अभाव में वह इसे समझ नहीं पाता है। सम्मोहन विद्या को पुरातन काल से प्राण-विद्या’ अथवा त्रिकाल-विद्या के नाम से भी जाना जाता रहा है।

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सम्मोहन

सम्मोहन वह कला है जिसके द्वारा मनुष्य को उस अर्धचेतनावस्था में लाया जा सकता है जो समाधि, या स्वप्नावस्था, से मिलती जुलती होती है, किंतु सम्मोहित अवस्था में मनुष्य की कुछ या सब इंद्रियाँ उसके वश में रहती हैं। वह बोल, चल और लिख सकता है, हिसाब लगा सकता है तथा जाग्रतावस्था में उसके लिए जो कुछ संभव है, वह सब कुछ कर सकता है, किंतु यह सब कार्य वह सम्मोहनकर्ता के सुझाव पर करता है।

किसी सम्मोहनकर्ता के द्वारा किसी व्यक्ति विशेष के मस्तिष्क पर नियंत्रण करने व उससे स्वयं के कहे अनुसार व्यवहार कराने की क्रिया को सम्मोहन कहा जाता है। जिसका उपयोग आधुनिक युग में विभिन्न चिकित्सकिय कार्यों के लिए किया जाता है।

मन के अनेक स्तर होते हैं। उनमें से एक है आदिम आत्म चेतन मन। आदिम आत्म चेतन मन न तो विचार करता है और न ही निर्णय लेता है। उक्त मन का संबंध हमारे सूक्ष्म शरीर से होता है। यह मन हमें आने वाले खतरे या उक्त खतरों से बचने के तरीके बताता है।

यह मन लगातार हमारी रक्षा करता रहता है। हमें होने वाली बीमारी की यह छह माह पूर्व ही सूचना दे देता है और यदि हम बीमार हैं तो यह हमें स्वस्थ रखने का प्रयास करता है। बौद्धिकता और अहंकार के चलते हम उक्त मन की सुनी-अनसुनी कर देते है। उक्त मन को साधना ही सम्मोहन है।

यह मन आपकी हर तरह की मदद करने के लिए तैयार है, बशर्ते आप इसके प्रति समर्पित हों। यह किसी के भी अतीत और भविष्य को जानने की क्षमता रखता है। आपके साथ घटने वाली घटनाओं के प्रति आपको सजग कर देगा, जिस कारण आप उक्त घटना को टालने के उपाय खोज लेंगे। आप स्वयं की ही नहीं दूसरों की बीमारी दूर करने की क्षमता भी हासिल कर सकते हैं।
सम्मोहन द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण, दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है।

सम्मोहन का उपयोग कुछ रोगों को दूर करने में तथा प्रसव में किया जाता है। कुछ चिकित्सकों ने शल्यचिकित्सा में भी इसे वेदनाहर पाया है। सम्मोहन की कार्यपद्धति से मानस तथा मानसिक रोगों के अध्ययन में सहायता मिलती है। साथ ही साथ कुछ मनोचिकित्सकों के द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को सम्मोहित कर उसके जीवन के वह पल उसकी स्मृति से मिटा दिये जाते हैं जिन्हें वह भूलना चहता हो। इस क्रिया के द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को उसके (पुर्वजन्म) को याद करा दिया जाता है।

प्लेनचिट

यह आत्माओं को आमंत्रित करने का विज्ञान है। पुरातन काल से ही यह कार्य किया जाता रहा है। जिनआत्माओं को शांति प्राप्त नहीं हुई है, वे प्लेनचिट के माध्यम से आपको भूतकाल, भविष्यकाल एवं वर्तमानकाल की जानकारी दे सकती हैं। आप उनसे अपनी परेशानी का हल प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इसमें अनिष्ट होने की संभावनाएं भी है।

उन आत्माओं से आप किसी भी गुप्त रहस्य अथवा गोपनीय गढ़े धन के बारे में जान सकते हैं। इसके अलावा आप उन आत्माओं को अपने जीवन की समस्यायें बताकर उन समस्याओं से मुक्ति पाने के उपाय भी जान सकते हैं।

प्लेनचिट मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। पहले तरीके के प्लेनचिट पर एक तरफ अंग्रेजी या हिन्दी के अक्षर लिखे जाते हैं तथा दूसरी ओर अंक लिखे जाते हैं। ऊपर हां और नीचे ना लिख दें। बीच में एक गोला बनाएं और उस पर एक कटोरी को उल्टा रख लें। फिर कक्ष के किसी कोने में धूपबत्ती प्रज्वलित करें, तीन या पांच लोग मिलकर उस कटोरी पर अपनी अंगुली रखकर किसी आत्मा का आह्वान करें। जब आत्मा आ जाती है तब कटोरी स्वतः ही चलायमान हो जाती है। प्रश्न करने पर वह कटोरी शनैः शनैः चलकर अंक अथवा अक्षरों पर पहुंचकर प्रश्नों का निराकरण कर देती है। उदाहरणतः उससे उसका नाम पूछा गया तो वह कटोरी चलकर अंग्रेजी या हिन्दी में लिखे अक्षरों को ढांकती जाएगी।

काला जादू

काला जादू पारम्परिक रूप से पराप्राकृतिक शक्तियों अथवा दुष्ट शक्तियों की सहायता से अपने स्वार्थी उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए किया जाने वाला एक जादू है। काला जादू उसे कहते हैं जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने स्वार्थ को साधने का प्रयास करता है या किसी को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। बंगाल और असम को काला जादू का गढ़ माना जाता रहा है। काले जादू के माध्यम से किसी को बकरी बनाकर कैद कर लिया जाता है या फिर किसी को वश में कर उससे मनचाहा कार्य कराया जा सकता है। काले जादू के माध्यम से किसी को किसी भी प्रकार के भ्रम में डाला जा सकता है।

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काला जादू

काला जादू शरीर में नकारात्‍मक ऊर्जा उत्‍पन्‍न करता है। ये शक्तियां बाहरी व्‍यक्ति के द्वारा भेजी जाती हैं जो उस व्‍यक्ति पर आतंरिक प्रभाव डालती है। काला जादू मनोवैज्ञानिक ढंग से कार्य करता है। काला जादू करने वाले आपके अचेतन मन को पकड़ लेते हैं। इसका प्रभाव आपके मन पर होता है। काले जादू के अंतर्गत मूठकर्णी विद्या, वशीकरण, स्तंभन, मारण, भूत-प्रेत, टोने और टोटके आदि आते हैं। इसे एक प्रकार की तांत्रिक विद्या भी कहते हैं।
इसके अलावा बहुत से ऐसे पारंपरिक अंधविश्वास और टोटके हैं जो अंधविश्वास हैं, जो लोक परंपरा से आते हैं जिनके पीछे कोई ठोस आधार नहीं होता। ये शोध का विषय भी हो सकते हैं। इसमें से बहुत-सी ऐसी बातें हैं, जो धर्म का हिस्सा हैं और बहुत-सी बातें नहीं हैं।

चौकी बांधना

चौकी बांधने के कई तरीके होते हैं। चौकी किसी किसी देवी या देवता की बांधी जाती है या नाग महाराज की। चौकी भैरव और दस महाविद्याओं की भी बांधी जाती है। कुछ लोग भूत प्रेत की चौकी बांधते हैं तो कुछ नगर देवता की। कहते हैं कि कई गढ़े खजाने की चौकी बंधी हुई है।
उल्लेखनीय है कि यही प्रयोग लक्ष्मण ने सीता माता की सुरक्षा के लिए किया था जिसे आज लक्ष्मण रेखा कहा जाता है। दरअसल, चौकी बांधने का प्रयोग कई राजा महाराजा अपने खजाने की रक्षा के लिए भी करते रहे हैं। आज भी उनका खजाना इसी कारण से सुरक्षित भी है। रावण ने तो अपने संपूर्ण महल की चौकी बांध रखी थी।

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चौकी बांधना

माना जाता है कि बंजारा, आदिवासी, पिंडारी समाज अपने धन को जमीन में गाड़ने के बाद उस जमीन के आस-पास तंत्र-मंत्र द्वारा ‘नाग की चौकी’ या ‘भूत की चौकी’ बिठा देते थे जिससे कि कोई भी उक्त धन को खोदकर प्राप्त नहीं कर पाता था। जिस किसी को उनके खजाने के पता चल जाता और वह उसे चोरी करने का प्रयास करता तो उसका सामना नाग या भूत से होता था।

अधिकांश ये काम बंजारे, गडरिये या आदिवासी लोग करते हैं। वे अपने किसी जानवर या बच्चे की रक्षा करने के लिए चौकी बांध देते हैं। जैसे गडरिये अपने बच्चे को किसी पेड़ की छांव में लिटा देते हैं और उसके आसपास छड़ी से एक गोल लकीर खींच देते हैं। फिर कुछ मंत्र बुदबुदाकर चौकी बांध देते हैं। उनके इस प्रयोग से उक्त गोले में कोई भी बिच्छू, जानवर या कोई बुरी नियत का व्यक्ति नहीं आ सकता।

पानी खोजने या खोई वस्तु खोजने की विद्या

पानी खोजने वाले सगुनिए भारत में यदा कदा मिल जाएंगे। सगुनिए नीम की टहनी, धातु की मुड़ी हुई छड़, आदि का उपयोग करके पानी की उपस्थिति की जानकारी देते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि वे कई मामलों में सत्य सिद्ध होते हैं, और प्रशिक्षित भूवैज्ञानिकों को भी मात दे देते हैं। सगुनियों का कहना है कि नीचे मौजूद पानी के कारण होनेवाले सूक्ष्म कंपनों या पानी के कारण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों को भांप लेते हैं। कुछ सगुनिए यह भी दावा करते हैं कि वे बता पाते हैं कि पानी खारा है या मीठा या वह बह रहा है या स्थिर है।

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पानी खोजने या खोई वस्तु खोजने की विद्या

इसी प्रकार ऐसे भी कई लोग हैं जो आंखें बंद कर किसी की भी खोई हुई वस्तु का पता बता देते हैं। यह काम वे आत्मसम्मोहन के माध्यम से करते हैं। यहीं काम आजकर पेंडुलम डाउजिंग के माध्यम से किया जाता है।

हमारे अवचेतन मन में वह शक्ति होती है कि हम एक ही पल में इस ब्रह्मांण्ड में कहीं भी मौजूद किसी भी तरंगों से संपर्क कर सकते हैं, सारा ब्रह्मांण्ड तरंगों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। उन तरंगों के माध्यम से हम जो जानना चाहते हैं या हमारे जो भी प्रश्न होते हैं – जैसे जमीन के अंदर पानी खोजना या कोई खोई हुई चीजों को तलाशना उसे हम डाउजिंग कहते हैं। डाउजिंग किसी भी छुपी हुई बात को खोजने वाली विद्या है।

ज्योतिष

ज्‍योतिष विषय वेदों जितना ही प्राचीन है। ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष कहा जाता है । इसके गणित भाग के बारे में तो बहुत स्‍पष्‍टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्‍पष्‍ट गणनाएं दी हुई हैं। फलित भाग के बारे में बहुत बाद में जानकारी मिलती है।

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ज्योतिष

ज्योतिष विद्या के कई अंग है जैसे सामुद्रिक शास्त्र, हस्तरेखा विज्ञान, लाल किताब, अंक शास्त्र, अंगूठा शास्त्र, ताड़ पत्र विज्ञान, नंदी नाड़ी ज्योतिष, पंच पक्षी सिद्धांत, नक्षत्र ज्योतिष, वैदिक ज्योतिष, रमल शास्त्र, पांचा विज्ञान आदि। भारत की इस प्राचीन विद्या के माध्यम से जहां अंतरिक्ष, मौसम और भूगर्भ की जानकारी प्राप्त की जाती है वहीं इसके माध्यम से व्यक्ति का भूतकाल और भविष्य भी जाना जा सकता है।

वेदों के छह अंग है जिन्हें वेदांग कहा गया है। इन छह अंगों में से एक ज्योतिष है। वेदों और महाभारतादि ग्रंथों में नक्षत्र विज्ञान अधिक प्रचलित था। ऋग्वेद में ज्योतिष से संबंधित ३० श्लोक हैं, यजुर्वेद में ४४ तथा अथर्ववेद में १६२ श्लोक हैं। यूरेनस को एक राशि में आने के लिए ८४ वर्ष, नेप्चून को १६४८ वर्ष तथा प्लूटो को २८४४ वर्षों का समय लगता है।

वैदिक ज्ञान के बल पर भारत में अनेकानेक खगोलशास्त्री, ज्योतिष एवं भविष्यवक्ता हुए हैं। जिनमें गर्ग , आर्यभट्ट , भृगु , बृहस्पति , कश्यप, पाराशर वराहमिहिर, पित्रायुस, बैद्धनाथ आदि प्रमुख हैं।

ज्योतिष शास्त्र के तीन प्रमुख भेद है

  • सिद्धांत ज्योतिष,
  • संहिता ज्योतिष
  • होरा शास्त्र।

सिद्धांत ज्योतिष के प्रमुख आचार्य – ब्रह्मा, आचार्य, वशिष्ठ, अत्रि, मनु, पौलस्य, रोमक, मरीचि, अंगिरा, व्यास, नारद, शौनक, भृगु, च्यवन, यवन, गर्ग, कश्यप और पाराशर है।

संहिता ज्योतिष के प्रमुख आचार्य – मुहूर्त गणपति, विवाह मार्तण्ड, वर्ष प्रबोध, शीघ्रबोध, गंगाचार्य, नारद, महर्षि भृगु, रावण, वराहमिहिराचार्य है।

होरा शास्त्र के प्रमुख आचार्य – पुराने आचार्यों में पाराशर, मानसागर, कल्याणवर्मा, दुष्टिराज, रामदैवज्ञ, गणेश, नीपति आदि हैं।

वास्तु शास्त्र

वास्तु शास्त्र को गृह निर्माण, महल निर्माण, मन्दिर, जलाशय आदि के निर्माण सहित नगर के निर्माण की विद्या माना गया है। प्राचीन भारत के प्रमुख वास्तुशास्त्री महर्षि विश्वकर्मा और मयदानव है।
भारतीय वास्तुशस्त्र में गृह निर्माण से संबंधित अनेकों प्रकार के रहस्यों को उजागर किया गया है। जैसे कि भूमि कैसी हो, घर का बाहरी और भीतरी वास्तु कैसा हो। इसके अलावा घर के निर्माण के समय आने वाली बाधा के क्या संकेत हैं।

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वास्तु भगवान

भारतीय वास्तुशास्त्र एक चमत्कारिक विद्या है। इंद्रप्रस्थ और द्वारिका नगरी के निर्माण से यह सिद्ध होता है। बिना किसी मशीनरी के वास्तु के माध्यम से जल को पहाड़ी पर चढ़ाया जाता था। इसके अलावा महल में सिर्फ एक जगह ताली बजाने पर उस ताली की आवाज महल के अंतिम कक्ष और बाहरी दरवाजे तक भी पहुंच सकती थी।

कहते हैं कि भवन-निर्माण के समय कारीगर के पागल हो जाने पर गृहपति और घर का विनाश हो जाता है इसलिए उस घर में रहने का विचार त्याग ही देना चाहिए। इसके अलावा वास्तु के अनुसार ही धरती में जल और ऊर्जा की स्थिति का भी आंकलन किया जा सकता है। दरअसल, भारतीय वास्तुशास्त्र एक चमत्कारिक विद्या है जिसके माध्यम से जीवन को बदला जा सकता है।

मंत्र, तंत्र और यंत्र

तंत्र शास्त्र भारत की एक प्राचीन विद्या है। मंत्र शक्ति से भी कई तरह के कार्यों को संपन्न किया जा सकता है और उसी तरह यंत्र से भी मनचाही इच्छा की पूर्ति होती है। मंत्रों में तांत्रिक और साबर मंत्र को सबसे प्रभावशाली माना जाता है, जबकि यंत्र कई प्रकार और कार्यों के लिए होते हैं जैसे लक्ष्मी प्राप्ति हेतु लक्ष्मी यंत्र और युद्ध में विजय प्राप्ति हेतु बगलामुखी यंत्र।

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मंत्र, तंत्र और यंत्र

अनेक लोग अपने संकट को दूर करने और जीवन में धन, संपत्ति, सफलता, नौकरी, स्त्री और प्रसिद्ध पाने के लिए किसी यंत्र, मंत्र या तंत्र का आश्रय लेते हैं।

मंत्र की शक्तियों के बारे में हमारे अनेक धर्म के ग्रंथों, वेदों, पुराणों में विस्तृत वर्णन है। गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और बजरंग बली के मंत्रों के अलावा अथर्ववेद में उल्लेखित मंत्रों को सिद्ध और शक्तिशाली माना जाता है। इसके अलावा साबर मंत्रों की महिमा का वर्णन ‍भी मिलता है।

झाड़-फूंक

झाड़-फूंक कर लोगों का भूत भगाने या कोई बीमारी का इलाज करने, नजर उतारने या सांप के काटे का जहर उतारने का कार्य ओझा लोग करते थे। यह कार्य हर धर्म में किसी न किसी रूप में आज भी पाया जाता है।

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झाड़-फूंक

पारंपरिक समाजों में ऐसे व्यक्ति को ओझा कहा जाता है। कुछ ऐसे दिमागी विकार होते हैं, जो डॉक्टरों से दूर नहीं होते हैं। ऐसे में लोग पहले ओझाओं का सहारा लेते थे। ओझा की क्रिया द्वारा दिमाग पर गहरा असर होता था और व्यक्ति के मन में यह विश्वास हो जाता था कि अब तो मेरा रोग और शोक ‍दूर हो जाएगा। यह विश्वास ही व्यक्ति को ठीक कर देता था।

प्राण विद्या

प्राण विद्या के अंतर्गत स्पर्श चिकित्सा, त्रिकालदर्शिता, सम्मोहन, टैलीपैथी, सूक्ष्म शरीर से बाहर निकलना, पूर्वजन्म का ज्ञान होना, दूर श्रवण या दृश्य को देखा आदि अनेक विद्याएं सम्मिलित हैं। इसके अलावा प्राण विद्या के हम आज कई चमत्का‍र देखते हैं। जैसे किसी ने अपने शरीर पर ट्रक चला लिया। किसी ने अपनी भुजाओं के बल पर प्लेन को उड़ने से रोक दिया। कोई जल के अंदर बगैर सांस लिए घंटों बंद रहा। किसी ने खुद को एक सप्ताह तक भूमि के अन्दर दबाकर रखा। इसी प्राण विद्या के बल पर किसी को सात ताले में बंद कर दिया गया, लेकिन वह कुछ सेकंड में ही उनसे मुक्त होकर बाहर निकल आया। कोई किसी का भूत, भविष्य आदि बताने में सक्षम है तो कोई किसी की नजर बांध कर जेब से नोट गायब कर देता है। इसी प्राण विद्या के बल पर कोई किसी को स्वस्थ कर सकता है तो कोई किसी को जीवित भी कर सकता है।
इसके अलावा ऐसे आश्चर्यजनक कारनामे जो सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता उसे करके लोगों का मनोरंजन करना यह सभी भारतीय प्राचीन विद्या को साधने से ही संभव हो पाता है। आज भी वास्तु और ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले ऐसे लोग हैं जो आपको आश्चर्यचकित कर सकते हैं।

योग की सिद्धियां

कहते हैं कि नियमित यम‍-नियम और योग के अनुशासन से जहां उड़ने की शक्ति प्राप्त ‍की जा सकती है वहीं दूसरों के मन की बातें भी जानी जा सकती है। परा और अपरा सिद्धियों के बल पर आज भी ऐसे कई लोग हैं जिनको देखकर हम अचरज करते हैं।

योग अद्भुत चमत्कारी भारतीय पुरातन विद्यायें
योग

सिद्धि शब्द का सामान्य अर्थ है सफलता। सिद्धि अर्थात किसी कार्य विशेष में पारंगत होना। समान्यतया सिद्धि शब्द का अर्थ चमत्कार या रहस्य समझा जाता है, लेकिन योगानुसार सिद्धि का अर्थ इंद्रियों की पुष्टता और व्यापकता होती है। अर्थात, देखने, सुनने और समझने की क्षमता का विकास।

परा और अपरा सिद्धियां, सिद्धियां दो प्रकार की होती हैं, एक परा और दूसरी अपरा। विषय संबंधी सब प्रकार की उत्तम, मध्यम और अधम सिद्धियां ‘अपरा सिद्धि’ कहलाती है। यह मुमुक्षुओं के लिए है। इसके अलावा जो स्व-स्वरूप के अनुभव की उपयोगी सिद्धियां हैं वे योगिराज के लिए उपादेय ‘परा सिद्धियां’ हैं।

मानसिक दूरसंचार विद्या (टेलीपैथी)

दूर संवेदन या परस्पर भाव बोध को आजकल मानसिक दूरसंचार कहा जाता है। अर्थात बिना किसी आधार या यंत्र के अपने विचारों को दूसरे के पास पहुंचाना तथा दूसरों के विचार ग्रहण करना ही मानसिक दूरसंचार है।

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मानसिक दूरसंचार

प्राचीन काल में यह विद्या ऋषि मुनियों के पास होती थी। हालांकि यह विद्या आदिवासियों और बंजारों के पास भी होती थी। वे अपने संदेश को दूर बैठे किसी दूसरे व्यक्ति के दिमाग में डाल देते थे। मानसिक दूरसंचार विद्या का एक दूसरा रूप है अंतर्ज्ञान शक्ति।
दरअसल हम सबमें थोड़ी-बहुत अंतर्ज्ञान शक्ति होती है, लेकिन कुछ लोगों में यह इतनी अधिक होती है कि वह अपनों के साथ घटने वाली अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं को आसानी से जान लेते हैं। हालांकि अभी तक प्रामाणिक रूप से ऐसी कोई उपलब्धि वैज्ञानिकों को प्राप्त नहीं हो सकी है, जिसके आधार पर मानसिक दूरसंचार विद्या के रहस्यों से पूरा पर्दा उठ सकें।

साधनाएं

भारत में अनेकों प्रकार की साधनाएं प्रचलन में रही हैं। इनमें से कुछ साधनाओं का शैव और शाक्त संप्रदाय से संबंध है तो कुछ का प्राचीनकालीन सभ्यताओं से।

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साधनाएं

ऐसे ही कुछ साधनाओं में शमशान साधना, कर्णपिशाचनी साधना, वीर साधना, प्रेत साधना, अप्सरा साधना, परी साधना, यक्ष साधना और तंत्र साधनाओं के बारे में सभी जानते हैं।
उपरोक्त के अलावा भी हजारों तरह की गुप्त साधनाएं भारत में प्रचलित है, जिनमें से अधिकतर का हिन्दू धर्म से कोई संबंध नहीं लेकिन यह प्रचलित स्थानीय संस्कृति और सभ्यता का भाग है।

(उपरोक्त लेख सिर्फ जानकारी हेतु है, उपरोक्त लेख में वर्णित कुछ विद्यायें ऐसी भी हैं जैसे कि प्लेनचिट, काला जादू, जो समाज में प्रचलित तो हैं किन्तु अंधविश्‍वास की श्रेणी में आती हैं तथा कदाचित हो सकता है कि यह आपके लिए अनिष्टकारी भी सिद्ध हों। अतएव उपरोक्त विद्याओं के प्रयोग मात्र कुतूहलवश नहीँ करना चाहिए अपितु किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।)

“श्री हरिहरात्मकम् देवें सदा मुद मंगलमय हर्ष। सुखी रहे परिवार संग अपना भारतवर्ष॥”

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