देवी दुर्गा सहस्त्रार्चन से नवरात्रि में करें अपने मनोरथ सिद्ध

Devi Maa Durga Sahasrarchana Hari Har Haratmak

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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सर्व कल्याण व कामना पूर्ति हेतु देवी दुर्गा सहस्त्रार्चन (माता दुर्गा के १००० नामों से अर्चना) करने का प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है। भगवती दुर्गा जी की सहस्र नामावली के एक-एक नाम का उच्चारण करके देवी की प्रतिमा पर, उनके चित्र पर, उनके यंत्र पर अथवा समूची सुपारी पर देवी का आह्वान करके उनके प्रत्येक नाम के उच्चारण के पश्चात नमः का उच्चारण करते हुए देवी की प्रिय वस्तु अर्पित करना चाहिए। पंडित श्री विश्वनाथ द्विवेदी जी के अनुसार जिस वस्तु से अर्चन करना हो वह पवित्र, दोषरहित एवं १००० की संख्या में होना चाहिए। अर्चन में बिल्वपत्र, हल्दी, केसर या कुंकुम से रंगे चावल, इलायची, लौंग, काजू, पिस्ता, बादाम, लाल गुलाब के फूल की पंखुड़ी, मोगरे के फूल, चारौली, किसमिस, सिक्का आदि का प्रयोग अत्यंत शुभ तथा देवी को प्रिय है। यदि अर्चन एक से अधिक व्यक्ति एक साथ करें तो नाम का उच्चारण एक व्यक्ति को तथा अन्य व्यक्तियों को नमः का उच्चारण करना चाहिए। अर्चन की सामग्री प्रत्येक नाम के पश्चात, प्रत्येक व्यक्ति को अर्पित करना चाहिए। अर्चन के पूर्व पुष्प, धूप, दीपक व नैवेद्य लगाना चाहिए। दीपक की व्यवस्था इस तरह होनी चाहिए कि पूरी अर्चन प्रक्रिया तक प्रज्वलित रहे। पंडित श्री विश्वनाथ द्विवेदी जी कहते हैं कि अर्चनकर्ता को स्नानादि आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर मौन रहकर अर्चन करना चाहिए। इस साधना काल में लाल रंग के आसन पर बैठना चाहिए तथा पूर्ण होने के पूर्व उसका त्याग किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। अर्चन के उपयोग में प्रयुक्त सामग्री अर्चन उपरांत किसी साधक, ब्राह्मण, अथवा मंदिर में देना चाहिए। कुंकुम से भी अर्चन किए जा सकते हैं। इसमें नमः के पश्चात बहुत थोड़ा कुंकुम देवी पर अनामिका-मध्यमा व अंगूठे का उपयोग करके चुटकी से चढ़ाना चाहिए। अर्चन के पश्चात उस कुंकुम से स्वयं को तथा अन्य भक्तों को तिलक के लिए प्रसाद के रूप में दे सकते हैं। सहस्त्रार्चन नवरात्र काल में एक बार कम से कम अवश्य करना चाहिए। इस अर्चन में आपकी आराध्य देवी का अर्चन अधिक लाभकारी है। अर्चन प्रयोग बहुत प्रभावशाली, सात्विक व सिद्धिदायक होने से इसे पूर्ण श्रद्धा व विश्वास से करना चाहिए। अधिक जानकरी के लिए संपर्क करें।

॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष। सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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श्रद्धेय पंडित विश्वनाथ द्विवेदी ‘वाणी रत्न’
संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष संस्थान)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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1 comment

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Pandit Srikesh Dwivedi

सार्थक जानकारी
जय जय अम्बे

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